Ayodhya–Varanasi High-Speed Corridor: Boost to Pilgrimage Tourism and Regional Development

नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश के दो प्रमुख तीर्थ नगरों — अयोध्या और वाराणसी — के बीच बेहतर कनेक्टिविटी सुनिश्चित करने के लिए भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) ने एक महत्वाकांक्षी योजना पर काम शुरू कर दिया है। इसके तहत करीब 192 किलोमीटर लंबे हाई-स्पीड, एक्सेस-कंट्रोल्ड कॉरिडोर का निर्माण प्रस्तावित है।
होगा विस्तृत अध्ययन
एनएचएआई इस परियोजना के लिए विस्तृत अध्ययन कराएगा, जिसमें आर्थिक व्यवहार्यता, तकनीकी उपयुक्तता, यातायात प्रवाह, संभावित मार्ग, संरचनात्मक विशेषताएं और पर्यावरणीय प्रभाव जैसे पहलुओं का आकलन किया जाएगा।
इसके लिए विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार करने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। यह रिपोर्ट राजमार्ग डिज़ाइन, पुल और जल निकासी व्यवस्था, भूमि अधिग्रहण रणनीति, लागत अनुमान, पर्यावरण और सुरक्षा आकलन समेत सभी पहलुओं को कवर करेगी। परामर्शदाता को टोल प्लाज़ा की योजना, सेवा सड़कों, मार्ग सुविधाओं और वृक्षारोपण की रूपरेखा भी तैयार करनी होगी।
सुरक्षा और दक्षता पर जोर
यातायात की सुगमता और सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए स्थानीय और धीमी गति वाले यातायात को मुख्य यातायात से अलग करने के लिए सेवा सड़कों और फेंसिंग जैसे प्रावधान भी शामिल किए जाएंगे।
अयोध्या रिंग रोड का निर्माण जारी
अयोध्या शहर में भी जाम से निजात दिलाने के लिए 68 किलोमीटर लंबी, 4-लेन एक्सेस-कंट्रोल्ड रिंग रोड का काम चल रहा है। इस सड़क से न केवल राम मंदिर आने वाले श्रद्धालुओं को तेज़ी से आवाजाही की सुविधा मिलेगी, बल्कि यह शहर से होकर गुजरने वाले राष्ट्रीय राजमार्गों का दबाव भी कम करेगी।
रिंग रोड लखनऊ अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा, अयोध्या हवाई अड्डा और प्रमुख रेलवे स्टेशनों से आने वाले राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय पर्यटकों को भी सहज कनेक्टिविटी प्रदान करेगी। पिछले साल अगस्त में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली कैबिनेट समिति (CCEA) ने इस परियोजना को मंजूरी दी थी।
क्षेत्रीय विकास को बढ़ावा
उत्तर प्रदेश में एक और हाई-स्पीड कॉरिडोर आगरा से मध्य प्रदेश के ग्वालियर तक बनाया जा रहा है। अधिकारियों का मानना है कि अयोध्या–वाराणसी कॉरिडोर के तैयार हो जाने पर यह न केवल धार्मिक पर्यटन को नई ऊँचाई देगा, बल्कि औद्योगिक विकास और शहरी विस्तार का भी अहम साधन बनेगा।



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