PMGSY की वित्तीय इतिहास: केंद्रीय सहायता से साझा जिम्मेदारी तक का सफर

 

पीएमजीएसवाई की वित्तीय इतिहास: केंद्रीय सहायता से साझा जिम्मेदारी तक का सफर

प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (PMGSY) की शुरुआत 25 दिसंबर 2000 को तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा की गई थी। इसका उद्देश्य हर मौसम में ग्रामीण बस्तियों को सड़क से जोड़ना था। वर्षों में यह योजना अपने वित्तीय ढांचे और कार्यक्षेत्र में काफी विकसित हुई है, जिससे भारत की वित्तीय प्राथमिकताओं और राज्यों के साथ तालमेल को दर्शाया गया है।

 

💰 चरण अनुसार वित्तीय विकास

चरण शुरुआत वर्ष वित्तीय साझेदारी
PMGSY-I 2000 100% केंद्र सरकार द्वारा वित्तपोषित
PMGSY-II 2013 60:40 साझेदारी (उत्तर-पूर्व और हिमालयी राज्यों के लिए 90:10)
PMGSY-III 2019 साझा वित्तपोषण जारी रहा, सड़क नेटवर्क को समेकित करने पर ध्यान
RCPLWEA (विशेष) 2016 नक्सल प्रभावित क्षेत्रों के लिए विशेष वित्त पोषण

2015–16 में 14वें वित्त आयोग के बाद यह योजना पूरी तरह केंद्र पोषित से केंद्र-राज्य साझेदारी मॉडल में बदल गई।

 

🌍 कुल निवेश और प्रभाव

  • स्वीकृत सड़क लंबाई: 7.8 लाख किमी से अधिक
  • कुल निवेश: ₹3.44 लाख करोड़ (लगभग US$ 45 बिलियन)
  • निर्मित सड़कों की लंबाई: 6.9 लाख किमी से अधिक
  • जुड़ी बस्तियाँ: 1.6 लाख से ज़्यादा गाँव

वित्त पोषण स्रोत:

  • हाई-स्पीड डीज़ल पर सेस
  • NABARD से ऋण
  • वर्ल्ड बैंक और ADB की मदद
  • राज्य सरकारों का अंशदान

 

🧪 तकनीक और टिकाऊ निर्माण

PMGYSY ने कई ग्रीन और इनोवेटिव टेक्नोलॉजीज़ का उपयोग किया:

  • प्लास्टिक अपशिष्ट से बनी सड़कें
  • कोल्ड मिक्स और रासायनिक स्थिरीकरण
  • फुल डेप्थ रीसायक्लिंग
  • सेल-फिल्ड कंक्रीट

इन विधियों से 66,000 किमी से अधिक सड़कें बनाई गई हैं।

 

🔍 निगरानी और पारदर्शिता

OMMAS (Online Management, Monitoring and Accounting System) द्वारा प्रत्येक चरण की निगरानी की जाती है:

  • प्रगति की रीयल-टाइम जानकारी
  • खर्चों की ट्रैकिंग
  • गुणवत्ता नियंत्रण

 

📌 चुनौतियाँ और सुझाव

  • कुछ राज्यों से वित्तीय योगदान में देरी
  • ठेकेदारों की कम गुणवत्ता वाली बोली
  • निर्माण के बाद रखरखाव की कमी
  • पुराने जनगणना डेटा के कारण कुछ बस्तियाँ छूट गईं

रूरल डेवलपमेंट स्टैंडिंग कमिटी ने सिफारिश की है:

  • 2011 की जनगणना को आधार बनाया जाए
  • गुणवत्ता नियंत्रण को सख्त किया जाए
  • केंद्र-राज्य समन्वय को बेहतर बनाया जाए

 

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